स्वागत है, हे वसंत ऋतु, स्नेहशील शब्दों से, अनंत गहराई से जो निकली। स्वागत है, हे वसंत ऋतु, स्नेहशील शब्दों से, अनंत गहराई से जो निकली।
लकीरें हाथ में जो हैं, पुरानी हैं लकीरें हाथ में जो हैं, पुरानी हैं
दुआयें दी हैं चोरों को हमेशा दो किवाड़ों ने कि जिनके डर से ही सब उनको आपस में मिलाते हैं । दुआयें दी हैं चोरों को हमेशा दो किवाड़ों ने कि जिनके डर से ही सब उनको आपस में मिल...
छोटी-छोटी चीज़ें हमें कई बार बड़ी-बड़ी खुशियों से भर देती हैं। छोटी-छोटी चीज़ें हमें कई बार बड़ी-बड़ी खुशियों से भर देती हैं।
गुज़रा वो वक्त जब हम साथ थे, हो गये मानो सभी आभास है, गुज़रा वो वक्त जब हम साथ थे, हो गये मानो सभी आभास है,
जो बेचारा हरिराम जो बेचारा हरिराम